Indira Ekadashi 2021: आश्विन मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को इंदिरा एकादशी (पितृ एकादशी) कहा जाता है. शास्त्रों में एकादशी व्रत सभी कठिन व्रतों में से एक है पंचांग के अनुसार पितृ पक्ष या श्रद्धा पक्ष में आने के कारण इसे पितृ एकादशी भी कहते है मान्यता है की इस एकदाशी का व्रत रखने से पितरो को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
धार्मिक मान्यता अनुसार इस एकादशी पर विष्णु जी के अवतार भगवान शालिग्राम की पूजा की जाती है. जो व्यक्ति एकादशी व्रत रखता है. उसे बैकंठ और उसके सात पीढियों तक के पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. आज हम आपको साल 2021 इन्दिरा एकादशी या पितृ एकादशी व्रत तिथि, पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, श्राद्ध विधि और इस दिन क्या करे क्या न करे इस बारे में बताएंगे।
Indira Ekadashi Vrat Shubh Muhurta 2021
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इन्दिरा एकादशी व्रत शुभ मुहूर्त 2021
- साल 2021 में इन्दिरा एकादशी का व्रत 2 अक्टूबर शनिवार के दिन रखा जायेगा
- एकादशी तिथि प्रारम्भ होगी – 1 अक्टूबर रात्रि 11:03 मिनट पर
- एकादशी तिथि समाप्त होगी – 2 अक्टूबर रात्रि 11:10 मिनट पर
- एकादशी व्रत के पारण का समय होगा 3 अक्टूबर सुबह 06:15 मिनट से सुबह 08:37 मिनट तक
Indira Ekadashi Puja Vidhi 2021
इन्दिरा एकादशी पूजा विधि 2021
इंदिरा एकादशी में भगवान् विष्णु जी के शालिग्राम स्वरुप की पूजा की जाती है इस दिन प्रातःकाल जल्दी उठकर अपने दैनिक कार्यो और स्नान के बाद सर्वप्रथम सूर्य देवता को जल का अर्घ्य दे. अब भगवान विष्णु का ध्यान करते हए व्रत का संकल्प ले और उनकी प्रतिमा या तस्वीर को गंगाजल से स्नान कराकर उन्हें पुष्प, चन्दन और अक्षत चढ़ाये।
इसके बाद भगवान विष्णु जी को पीली चीजों का भोग लगाना चाहिए. एकादशी के दिन भगवान को तुलसी की पत्ते अर्पित करने चाहिए. अंत में व्रत कथा का पाठ कर भगवान विष्णु की आरती, मन्त्र और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करे. अगले दिन व्रत का पारण कर व्रत संपन्न करे।

एकादशी श्राद्ध विधि
धार्मिक मान्यता अनुसार पितृ पक्ष की एकादशी का व्रत करने से 7 पीढ़ियों तक के पितरो को मोक्ष की प्राप्ति होती है इसीलिए इस दिन पितरो के निमित तर्पण व श्राद्ध करे पितृ श्राद्ध के लिए पितृजन की प्रतिमा दक्षिण दिशा में रखकर वहां पर एक दीपक जलाकर श्राद्ध की विधि करे. एकादशी के दिन तिल और गुड़ का पिंडदान करना शुभ होता है।
एकादशी की दोपहर में नदी में तर्पण की विधि करें. यदि नदी में संभव न हो, तो घर के पास किसी जलाशय, या घर पर भी तर्पण कर सकते हैं. घर में सात्विक भोजन बनाये _और सबसे पहले कौए, कुत्ते और गाय के लिए भोजन निकाल ले तर्पण के बाद ब्राह्मण को भोजन कराये और उन्हें दान दक्षिणा देकर विदा करना चाहिए।
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इन्दिरा एकादशी क्या करे क्या न करे
- एकादशी व्रत के नियम दशमी तिथि से शुरू होते है इसीलिए दशमी के दिन सूर्यास्त के बाद भोजन नहीं करना चाहिए।
- पितृ एकादशी के दिन पितरो के निमित तर्पण और दान दक्षिणा देनी चाहिए।
- दशमी तिथि के दिन शहद का सेवन ना करे।
- आज के दिन भगवान् विष्णु जी का विशेष पूजा करे।
- एकादशी के दिन फलाहारी खीर का भगवान विष्णु जी को भोग-समाना चाहिए।
- एकादशी का व्रत रखने वाले व्यक्ति को चावल व अन्न का नहीं करना चाहिए।
- एकादशी व्रत का पारण अगले दिन द्वादशी तिथि को सूर्योदय के बाद करना चाहिए।
- एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले और हरि वासर समाप्त होने के बाद ही करना चाहिए।
- एकादशी व्रत में तामसिक चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।
- इस व्रत में बाल नाखून व दाढ़ी मूछ भी नहीं कटवाने चाहिए।
- इस दिन भगवान विष्णु जी की पूजा कर फलाहार का दान करना चाहिए और गाय को भी फल खिलाने चाहिए।
- इस एकादशी के पारण के बाद अगले दिन प्रातः काल पूजा कर निर्धन लोगों को भोजन कराकर वस्त्र आदि का दान करें इस दिन भगवान विष्णु जी को पीले फल और तुलसी दल अर्पित करे।
- एकादशी की शाम पीपल के वृक्ष के नीचे दीपक जलाने से पितृ प्रसन्न होते है।